बेचैनी ने दुलराया.
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जब मैनें पहली बार
तुम्हें देखा था
दिल में मी्ठा दर्द दबाये
नित देखा करता था सपने
न जाने कितनी ही बार
बेचैनी ने दुलराया था
धडकने हुई कई बार तेज
अभी तक नहीं जान पाया था
लगी दिल की बढती रही
सांसें बर्फ़ सी जमती रहीं
स्वपन मेरे सजाने आय़ी हो
तो,द्वार पर क्यों खडी रह गईं
७ जिन्दगी भी मुस्कुरा देगी
प्रीत के गीत मुझे दे दो
तो,मैं उम्र भर गाता रहूँ
प्रीत ही मुझे दे दो तो
मैं जिन्दगी भर संवारता रहूँ
जब मैं तुम्हारी सरहद में आया था
याद करूं तो कुछ याद न आया था
एक अजब खामोशी व खुमारी थी
जो मुझ पर अब तक छाये है
खामोशी के राज मुझे दे दो
कि मैं चैन की बंसी बजाता रहूँ
गीत नये-नये गाता रहूँ
गीत नये-नये गुनगुनाता रहूँ
तुम तभी से अपने हो
जब चांद तारे भी न थे
ये जमीं आसमान भी न थे
तुम तभी से साथ हमारे थे
गीतों के बदले जिन्दगी भी मांग लोगी
तो मुझे तनिक भी गम न रहेगा
क्योंकि मुझे मालुम है कि
गीतॊं के बहाने नयी जिन्दगी लेकर
तुम द्वार मेरे जरुर आओगी
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